इधर उधर की बात 104 – मैनेज (MANAGE) ब्रिगेडियर पी.एस. घोतड़ा (सेवानिवृत्त)

“ साहब ने ठेकेदार से पंद्रह करोड़ रुपये लिए हैं ,” ड्राइवर ने लापरवाही से कहा। गाड़ी बारामूला से उरी की ढलान पर चल पड़ी थी। रास्ते में आर्मी का चेक पोस्ट आया। 1991 में कश्मीर में यह आम बात थी। ड्राइवर उतरा और जवान को बताया कि यह प्रोजेक्ट की गाड़ी है। एक सिपाही राइफल टाँगे खिड़की के पास आया। अंदर देखा। सवार आदमी ने आईडी कार्ड निकालने की कोशिश की , पर सिपाही ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। बस हल्की - सी नज़र और सिर हिला कर आगे बढ़ गया। ड्राइवर रजिस्टर में गाड़ी का नंबर लिख रहा था। अंदर बैठा फौजी सोच में डूबा था। यह ड्राइवर क्यों उल्टी सीधी बातें करता है ? अभी बताया कि उसके पिता ने इतना सारा पैसा लिया है। कुछ महीने पहले भी उसने बारामूला बाज़ार में एक अजनबी से मिलवाया था और बोल दिया “ साहब का लड़का। ” और वह अजनबी निकला आतंकवादी , जिसने अपने फेरन के नीचे AK 47 छुपाई हुई थी। शुक्र है उसने यह नहीं कहा कि लड़का फौजी अफसर है। क्या यह कोई साज़िश ...