इधर उधर की बात – मूली दे परांठे Brig PS Gothra (Retd)
“ मूली दे परांठे खा लिए जाएं आज ?” — मैंने बड़े प्यार से कहा। पत्नी ने जो डर्टी लुक मारी , लगा जैसे मैं परांठे नहीं , सोने का गहना मांगने की बात कर रहा हूँ। नौकरानी नहीं आई थी , तो सोचा चुपके से किचन में जा कर कुछ कर दूँ ताकि पत्नी की मदद हो जाए । तीन स्ट्रोक में पहली उंगली कद्दूकस , खून नहीं निकला तो जारी रखा। तीन और स्ट्रोक — दूसरी उंगली भी शहीद। धीरे से बैंड-एड लगाया , ताकि वो न देख ले। अगर देख लिया होता तो पूरा ऑर्डर आता — “ निकल जाओ मेरे किचन से बाहर!” फौजी हूं , इतनी जल्दी हार मानने वाला नहीं। सोचा — “ग्रेटर की जगह मिक्सी क्यों नहीं ?” मूली काटी , जार में डाली , पाँच मिनट बाद देखा — मूली के बड़े बड़े टुकड़े थे परांठा तो नहीं बन सकता था। फिर मैंने मूली को छोटे जार में डाला और घुमा दिया मिक्सी को मूली का स्मूदी बन गई। परांठा तो नहीं डोसा शायद बन जाये। चुपके से मूली की स्मूथी को पॉलिथीन में डालकर डस्ट...