इधर उधर की बात 105 – ट्रक ज्ञान -ब्रिगेडियर पी एस घोतड़ा (सेवानिवृत्त)

“ मुझे तुम्हारी ये मुस्कान बिल्कुल पसंद नहीं है ,” मेरी पत्नी ने तीखे स्वर में कहा , जब मैंने उसके तर्क का जवाब देना बंद कर दिया। हम चंडीगढ़ से दिल्ली कार में जा रहे थे। उसे पता नहीं था कि मैं क्यों मुस्कुरा रहा हूँ। हमारे ठीक सामने चल रहे ट्रक की पीछे बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था – ‘ बीवी से बहस , ज़िंदगी तहस-नहस। ‘ आज का सबसे बड़ा ज्ञान तो यहीं हाईवे पर था। लेकिन अगर मैंने उसे दिखा दिया तो सफ़र सचमुच तहस-नहस हो जाता। मैंने फ़ौरन एक्सलेरेटर दबाया और ट्रक को ओवरटेक कर लिया। मैंने फिर सहज भाव से कहा , “ ज़रा मेरा व्हाट्सऐप गैलरी खोलो और आज की पहली फोटो देखो।” उसने देखा फोटो में एक मजदूर , सिर पर डिफ़ेंस सर्विसेज़ स्टाफ कॉलेज की कैप लगाए , दिख रहा था। वह चुप हो गई—क्योंकि स्टाफ कॉलेज के खिलाफ वह कुछ भी सुन-देख नहीं सकती थी। बहस खत्म। बाकी सफ़र शांति से कट गया। वो फोटो यूँ ही नहीं आई थी। सुबह चार बजे मेरे एक गुरु ने भेजी ...